Everyone came, Bedi was nowhere to be seen; Another resentment that was ineffective

सब आए, बस बेदी कहीं नजर नहीं आए; बेअसर रही एक और नाराजगी।

क्लीन बोल्ड / राजेंद्र सजवान

आज यहां अरुण जेटली स्टेडिम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व वित्त मंत्री और दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष अरुण जेटली की 68वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया तो मौजूद मंत्रियों, खेल प्रशासकों, खिलाड़ियों और स्थानीय इकाई के अधिकारियों ने अरुण जेटली को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके पर डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष और अरुण जेटली के पुत्र रोहन जेटली तथा उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे। लेकिन निगाहें जिसे खोज रही थीं कहीं नजर नहीं आए।

अरुण जेटली की मूर्ति स्थापित किए जाने को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और अपने जमाने के जाने माने स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने न सिर्फ नाराजगी व्यक्त की अपितु यह भी कहा कि यह सरासर गलत है। उनके अनुसार जेटली की बजाय किसी खिलाड़ी की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। उन्होंने बाकायदा अपने नाम के स्टैंड को पोंछने का भी एलान किया था।

इस विवाद के बाद माना जा रहा था कि बेदी अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए कोई कदम उठा सकते हैं। आशंका व्यक्त की जा रही थी कि वह धरना दे सकते हैं या अन्य किसी प्रकार से नाराजगी व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। वह दूर दूर तक कहीं नजर नहीं आए। हालांकि कड़े सुरक्षा इंतजामों के चलते स्टेडियम को जैसे एक किले में बदल दिया गया था। कई मीडियाकर्मी भी अमित शाह के रहते अंदर प्रवेश नहीं कर पाए।

समारोह में शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू , वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह, भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र ध्रुव बत्रा, बीसीसीआई के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और डीडीसीए की कोषाध्यक्ष शशि खन्ना मौजूद थीं।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेंदर खन्ना और मदन लाल, पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर, भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन, समारोह में शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह, भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र ध्रुव बत्रा, बीसीसीआई के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और डीडीसीए की कोषाध्यक्ष शशि खन्ना भी मौजूद थीं।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेंदर खन्ना और मदन लाल, पूर्व भारतीय क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर, भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन, पूर्व भारतीय क्रिकेटर आरपी सिंह और सुरेश रैना, पूर्व चयनकर्ता शरणदीप सिंह, अंतर्राष्ट्रीय अम्पायर अनिल चौधरी, दिल्ली के क्रिकेटर परविंदर अवाना, रोबिन सिंह और डीडीसीए के पूर्व और मौजूदा पदाधिकारी उपस्थित थे। भारतीय क्रिकेटर आरपी सिंह और सुरेश रैना, पूर्व चयनकर्ता शरणदीप सिंह, अंतर्राष्ट्रीय अम्पायर अनिल चौधरी, दिल्ली के क्रिकेटर परविंदर अवाना, रोबिन सिंह और डीडीसीए के पूर्व एवम मौजूदा पदाधिकारियों ने भी उपस्थिति दर्ज की। लेकिन बेदी कहीं नजर नहीं आए।

अमित शाह ने इस अवसर पर अरुण जेटली के राजनीति और क्रिकेट प्रशासन में योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश के विकास के लिये लगातार काम किया था तथा क्रिकेट को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।

अरुण जेटली 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे।अब उनके बेटे रोहन जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष हैं। पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने हालांकि अरुण जेटली स्टेडियम में अरुण जेटली की प्रतिमा स्थापित करने का विरोध करते हुए डीडीसीए के अध्यक्ष और अरुण जेटली के पुत्र रोहन जेटली को पत्र लिख कर कहा था कि फिरोज शाह कोटला के एक स्टैंड से उनका नाम हटा दिया जाये और साथ ही वह डीडीसीए की प्राथमिक सदस्य्ता से इस्तीफा भी दे रहे हैं।

लेकिन स्टैंड पर बिशन सिंह बेदी का नाम अभी पहले की तरह मौजूद है। अर्थात किसी ने भी पूर्व भारतीय कप्तान की नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया है। क्लीन बोल्ड ने जब कुछ अधिकारियों और खिलाड़ियों से इस बारे में जानना चाहा तो ज्यादातर ने बस इतना ही कहा कि बेदी जब तब कोई न कोई शगूफा छोड़ते हैं। यदि वह सचमुच विरोध के मूड में थे तो उन्हें अकेले ही सही, आस पास मौजूद जरूर रहना था। अब लाठी पीटने से कुछ नहीं होने वाला। इस प्रकार उनका एक और विरोध मज़ाक बन कर रह गया है।

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