आखिर हम लिम्बा को एकलव्य बनाने पर क्यों तुले हैं?
क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान वाकई वक्त बड़ा बेरहम है। राजा कब रंक बन जाए और कब किसे आसमान से धरा पर पटक दे कहा नहीं जा सकता। लेकिन जब हम अपने राष्ट्र नायकों को भुलाते हैं उनकी उपलब्धियों को नजर अंदाज करने लगते हैं तो समझ लीजिए अपने बुरे दिनों को बुलावा देते हैं। देश …
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