The International Olympic Committee has declared breakdance as an official sport

ब्रेकडांस ओलंपिक में:कबड्डी के ब्रेक फेल, हॉकी, कुश्ती संकट में।

Due to technical issues we are unable to upload the images. sorry for the inconvenience.

क्लीन बोल्ड/ राजेंद्र सजवान

भारत में डांस के शौकीनों और पेशेवर डांसरों के लिए बड़ी खुश खबरी आई है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ब्रेकडांस को अब अधिकृत खेल घोषित कर दिया है, जिसे 2024 के पेरिस खेलीं में शामिल किए जाने का फैसला किया गया है। स्थगित टोक्यो खेलों में स्केटबोर्डिंग, स्पोर्ट क्लाइम्बिंग और सर्फिंग को पहले ही स्थान दिया जा चुका है।

आईओसी चाहती है कि खेलों से अधिकाधिक युवा जुड़ें और दुनिया के सबसे बड़े और मान्य खेल मेले का आकर्षण बढ़े। आयोजकों का मानना है कि अभी कुछ और नये खेलों को ओलंपिक में प्रवेश मिल सकता है, जबकि कुछ स्थापित खेलों को बाहर का रास्ता भी देखना पड़ सकता है।

भारत में खुशी की लहर:

ब्रेकडांस को ओलंपिक दर्जा दिए जाने की खबर को लेकर भारतीय डांस बिरादरी में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। वैसे भी भारत के हर गली कूचे, स्लम बस्तियों और छोटे बड़े शहरों में ब्रेक डांसर बिखरे पड़े हैं। लेकिन अब उन्हें समेटने की जरूरत है। देश में बहुत सी डांस प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, टी वी पर रियलिटी शो आयोजित होते हैं, जिनमें अनेक प्रतिभाएं सामने आती हैं।

लेकिन प्रतिस्पर्धात्मक डांस प्रतियोगिताओं का अंदाज कुछ हट कर होगा। ओलंपिक पदक के लिए आयोजित स्पर्धा को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय ब्रेक डांस फेडरेशन केनियमों और कसौटी पर भारतीय डांसर कितने खरे उतरेंगे, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा। फिलहाल इस खेल के लिए चार साल का समय बचा है।

ब्रेक फेल होने का डर:

भारतीय खेलों पर नज़र डालें तो शायद ही कोई खेल ऐसा होगा जिसमें खेमेबाजी न चल रही हो। खेल और खिलाड़ियों का भले ही नुकसान हो, हमारे खेल आका कुर्सी के लिए आपस में टकराते रहे हैं। ब्रेकडांसिंग में लंगड़ी लगाने का खेल अंदर ही अंदर शुरू हो चुका है। वैसे भी भला कौन ऐसा सुनहरी मौका हाथ से जाने देना चाहेगा। यदि शुरू से ही सख्ती नहीं बरती गई तो नए खेल के ब्रेक फेल होने का डर बना रहेगा।

कबड्डी का दावा खारिज:

भले ही कबड्डी शुद्ध भारतीय खेल है और वर्षों तक भारत ने इस खेल में अपनी पहचान बनाए रखी है। लेकिन पिछले एशियायी खेलों के नतीजे ने भारतीय कबड्डी की कमर तोड़ी है। पुरुष और महिला दोनों टीमें ईरान से हारकर अपनी बदशाहत गंवा चुकी हैं।

इसके साथ ही भारत द्वारा कबड्डी को ओलंपिक में शामिल करने के प्रयासों को भी आघात पहुंचा है। प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत के बाद जो उम्मीदें बढ़ी थीं अब लगभग समाप्त हो गई हैं। वैसे भी विश्व स्तर पर कबड्डी अपना दम नहीं दिखा पाई है। ऐसे में ओलंपिक में भागीदारी का दावा दमदार नहीं लगता।

हॉकी पर खतरा:

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति लगातार प्रयोग में लगी है और ऐसे खेलों को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है, जिनके अधिकाधिक टीवी दर्शक हैं या जिनका कम समय में अधिक रोमांच उठाया जा सकता है। यही कारण है कि एक समय कुश्ती पर ओलंपिक बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था। फिलहाल, नियमों में आवश्यक बदलाव कर और कुश्ती को गति दे कर बचा लिया गया है।

लेकिन हॉकी पर से संकट टला नहीं है। हॉकी आज भी आईओसी के रडार पर है और यदि सब कुछ ठीक ठाक नहीं रहा तो हॉकी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि कुछ गलत हुआ तो हमारा तथाकथित राष्ट्रीय खेल इतिहास पुस्तिकाओं में बंद होकर रह जाएगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *