क्लीन बोल्ड

वाह क्रिकेट! हाय-हाय बाकी खेल!!

राजेंद्र सजवान भले ही बाकी खेल क्रिकेट को भला-बुरा कहें, क्रिकेट से चिढ़ें और जलें-कुढ़ें लेकिन हाल के एक फैसले ने हॉकी, फुटबॉल सहित तमाम ओलम्पिक खेलों को हैसियत का आईना दिखा दिया है। जैसा कि विदित है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अपने तमाम स्टार खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट को गंभीरता से …

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….क्योंकि हॉकी अब पूरे भारत का खेल नहीं रही

राजेंद्र सजवान भारतीय हॉकी में मचे घमासान के बारे में भले ही आम हॉकी प्रेमी अनभिज्ञ है लेकिन हॉकी इंडिया की छलनी से छिटक कर आ रही खबरों से यह तो पता चल ही गया है कि हॉकी ने फिर से बर्बादी और गुमनामी की राह पकड़ ली है। हाल ही में ऐसा बहुत कुछ …

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हॉकी चली कुश्ती की चाल, चित होने का डर

राजेंद्र सजवान हॉकी इंडिया की पहली सीआईओ एलेना नॉर्मन 13 सालों तक भारतीय हॉकी की सेवा करने के बाद स्वदेश लौट गई हैं। इस अवधि में भारतीय हॉकी ने क्या खोया और क्या पाया, इस बारे में अलग-अलग राय हो सकती है। लेकिन यह सच है कि एक विदेशी महिला ने भारतीय हॉकी के शीर्ष …

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संतोष ट्रॉफी: फुटबॉल के साथ घटिया मजाक

राजेंद्र सजवान संतोष ट्रॉफी राष्ट्रीय फुटबॉल चैम्पियनशिप में खेल का स्तर देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि क्यों भारत दुनिया के फुटबॉल मानचित्र पर पिछड़ा हुआ है और क्यों लाखों-करोड़ों रुपये बहाने के बाद भी भारतीय फुटबॉल का स्तर सुधर नहीं पा रहा है। हाल फिलहाल खेली जा रही संतोष ट्रॉफी पर सरसरी …

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डीएसए का फुटबॉल छलावा: क्लब, कोच और रेफरी ‘खेला’ में शामिल!

राजेंद्र सजवान    इसमें दो राय नहीं कि तमाम विफलताओं के बावजूद भी भारत में फुटबॉल की लोकप्रियता में कोई गिरावट नहीं आई है। भले ही हम पिछले पचास सालों में कोई बड़ा खिताब नहीं जीत पाए, लेकिन तमाम विफलताओं के बावजूद फुटबॉल को आम भारतीय बेहद पसंद करता है। इतना जरूर है कि देश के …

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आत्मघाती फुटबॉल शक के घेरे में

राजेंद्र सजवान भारतीय फुटबॉल क्यों तरक्की नहीं कर पा रही है? क्यों हम फीफा वर्ल्ड रैंकिंग में पिछड़ते जा रहे हैं? इन सवालों का जवाब बस इतना है कि भारतीय फुटबॉल के कर्ताधर्ताओं की नीयत में खोट है। फिर चाहे खिलाड़ी, कोच, अधिकारी, स्पांसर और रेफरी ही क्यों न हों, सभी कहीं न कहीं पथ …

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कुश्ती फेडरेशन की बहाली और पहलवानों की नाराजगी

राजेंद्र सजवान यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्लूडब्लू) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआई) के ऊपर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिया है। यह तो खुशी की बात है लेकिन आंदोलनकारी सीनियर पहलवानों को यह फैसला रास नहीं आ रहा है। इसलिए चूंकि साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और शायद विनेश फोगाट को लग रहा है कि यूडब्लूडब्लू के निर्णय …

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उम्र का धोखा: भारतीय खेलों का अभिशाप!

राजेंद्र सजवान भारतीय खेल आका, खेल प्राधिकरण, खेल संघ, सरकार का खेल मंत्रालय और तमाम खेल प्रमोटर वर्षों से भारत को खेल महाशक्ति बनाने का दावा करते आ रहे हैं लेकिन चंद खेलों को छोड़ बाकी में हमारे पास ओलम्पिक और विश्व खिताब जीतने वाले खिलाड़ियों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। बेशक, साधन …

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“हॉकी के राम थे ध्यानचंद”

राजेंद्र सजवान“जिसके नाम पर खेल दिवस मनाया जाता है, खेल अवार्ड दिए जाते हैं, जिसके नाम पर सैकड़ों स्टेडियम है, संग्राहलय हैं, सड़के हैं, और जिसे हॉकी का भगवान कहा जाता है, वह तो अपने आप में ही ‘भारत रत्न’ है। अब यह बात अलग है कि उसे सरकार भारत रत्न सम्मान के काबिल क्यों …

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क्रिकेट अपने दम पर, बाकी खेल नाकारा!

राजेंद्र सजवान इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का ग्राफ 1983 के वर्ल्ड कप (प्रूडेनशियल कप) में जीत के साथ उठना शुरू हुआ। उससे पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की हैसियत कुछ खास नहीं थी। वक्त के साथ-साथ भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में लगातार सुधार हुआ। क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) …

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